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विषय नं. 1 - अहिंसा



अध्याय नं. 5 ,श्लोक नं. 11
श्लोक

कायेन मनसा बुद्धया केवलैरिन्द्रियैरपि । योगिनः कर्म कुर्वन्ति संग त्यक्त्वात्मशुद्धये ॥11॥

कायेनः मनसा बुद्ध्या केवलैः इन्द्रियैः अपि । योगिनः कर्म कुर्वन्ति सङ्गम् त्यक्त्वा आत्म शुद्धये ।। ११ ।।

शब्दार्थ

(त्यक्त्वा) (वह जिसने) छोड़ दिया है (सङ्गम् ) एक ईश्वर की प्रार्थना के साथ किसी और की प्रार्थना को (केवलैः) केवल (वही) (योगिनः) (एक ईश्वर की) प्रार्थना करने वाला (शुद्धये) पवित्र ( कायेनः) शरीर (मनसा) मन (बुद्धया) सोच (इन्द्रियैः) इच्छाओं (आत्म) (और) आत्मा (के साथ) (कर्म) सत्कर्म (कुर्वन्ति) कर सकता है।

अनुवाद

(वह जिसने) छोड़ दिया है एक ईश्वर की प्रार्थना के साथ किसी और की प्रार्थना को। केवल (वही) (एक ईश्वर की) प्रार्थना करने वाला, पवित्र शरीर, मन, सोच, इच्छाओं (और) आत्मा (के साथ) सत्कर्म कर सकता है।