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विषय नं. 16 - मूर्ति पूजा करने वालों का भविष्य



अध्याय नं. 7 ,श्लोक नं. 23
श्लोक

अन्तवत्तु फलं तेषां तद्भवत्यल्पमेधसाम् । देवान्देवयजो यान्ति मद्भक्ता यान्ति मामपि ॥23॥

अन्त-वत् तु फलम् तेषाम् तत् भवति अल्प मेधसाम् । देवान् देव-यजः यान्ति मत् भक्ताः यान्ति माम् अपि ॥२३॥

शब्दार्थ

(मत भत्का) मेरी प्रार्थना करने वाले (मृत्यु के बाद) (अपि) नि:संदेह (माम् ) मेरे (स्वर्ग में) (यान्ति) जाएंगे (देव-यजः) देवताओं की प्रार्थना करने वाले ( देवान) देवताओं के पास (यान्ति) जाऐंगे (तु) (किन्तु ) ( फलम् तेषाम) उनके कर्म-फल के कारण (तत्) उन (अल्प मेधसाम्) कम बुद्धि वालों का (अन्त-वत्) विनाश (भवति) होगा।

अनुवाद

मेरी प्रार्थना करने वाले (मृत्यु के बाद) नि:संदेह मेरे (स्वर्ग में) जाएंगे। देवताओं की प्रार्थना करने वाले देवताओं के पास जाऐंगे। (किन्तु) उनके कर्म-फल के कारण उन कम बुद्धि वालों का विनाश होगा।

नोट

(एक ईश्वर में श्रद्धा न रखने वालों से) कहो, जिनके ईश्वर होने का तुम्हें गुमान है उनको पुकार कर देखो। उन्हें न तो तुमसे किसी कष्ट के दूर करने का अधिकार प्राप्त है औन न ( उसे) बदलने का। जिनको ये (ईश्वर के सिवा) पुकारते हैं, वे तो स्वयं अपने रब (ईश्वर) की तरफ पहुंचने की चाह रखते हैं, उनमें जो सबसे (ईश्वर के) अधिक निकट है वह भी इसी चाह में हैं और वे उसकी (ईश्वर की) दयालुता की आशा रखते हैं और उसकी यातना से डरते हैं। वास्तव में तेरे रब की यातना डरने ही की चीज़ है। (सूरे बनी इसराईल- १७, आयत ५६-५७)