Home Chapters About



विषय नं. 19 - प्रलय के दिन कर्मों का हिसाब देन का वर्णने



अध्याय नं. 5 ,श्लोक नं. 15
श्लोक

नादत्ते कस्यचित्पापं न चैव सुकृतं विभुः । अज्ञानेनावृतं ज्ञानं तेन मुह्यन्ति जन्तवः ॥15॥

न आदत्ते कस्यचित् पापम् न च एवं सुकृतम्
विभुः । अज्ञानेन आवृत्तम् ज्ञानम् तेन मुह्यन्ति जन्तवः ।। १५ ।।

शब्दार्थ

(अज्ञानने) अज्ञानता ने (ज्ञानम्) (मनुष्य के) ज्ञान को (आवृत्तम) ढांप लिया है, (तेन) जिसके कारण (जन्तवः) मनुष्य (मुह्यन्ति ) मोहित हो गया है (भ्रम में है और कल्पना करता है कि) (विभू) (वह) ईश्वर (जो सर्वव्यापी है) (न) (वह) न (किसी के) (सुन्कृतम्) अच्छे कर्म (आदत्ते) स्वीकार करेगा। (च) और (न) न (पापम्) पापों का दंड देगा।

अनुवाद

अज्ञानता ने (मनुष्य के) ज्ञान को ढांप लिया है, जिसके कारण मनुष्य मोहित हो गया है (भ्रम में है और कल्पना करता है कि) (वह) ईश्वर (जो सर्वव्यापी है) (वह) न (किसी के) अच्छे कर्म स्वीकार करेगा। और न पापों का दंड देगा।