Home Chapters About



विषय नं. 44 - मनुष्य की मानसिकता



अध्याय नं. 18 ,श्लोक नं. 29
श्लोक

बुद्धेर्भेदं धृतेश्चैव गुणतस्त्रिविधं श्रृणु। प्रोच्यमानमशेषेण पृथक्त्वेन धनंजय ॥29॥

बुद्धैः भेदम् धृतेः च एव गुणतः त्रि-विधम् शृणु। प्रोच्यमानम् अशेषण पृथक्त्वे न धनन्जय ।।२९।।

शब्दार्थ

(धनन्जय) हे अर्जुन (गुणत:) गुणों के अनुसार (एवं) नि:संदेह (बुद्धैः) बुद्धि (सोच समझ ) (Intelligence) (एव) और (धृते:) दृढ निश्चय (Determination) (भी) (त्रि-विधम्) तीन प्रकार के हैं (भेदम) इनके अंतर को (पृथक्त्वेन) अलग से (अशेषण) (और) विस्तार से (शृणु) सुनो (प्रोच्यमानम्) (जो मैं तुमसे) कह रहा हूँ।

अनुवाद

हे अर्जुन गुणों के अनुसार नि:संदेह बुद्धि (सोच समझ ) ( Intelligence), और दृढ निश्चय (Determination) (भी) तीन प्रकार के हैं। इनके अंतर को अलग से (और) विस्तार से सुनो (जो मैं तुमसे) कह रहा हूँ।