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विषय नं. 50 - सत्कर्मों का वर्णन



अध्याय नं. 18 ,श्लोक नं. 13
श्लोक

पञ्चैतानि महाबाहो कारणानि निबोध मे। साङ्ख्ये कृतान्ते प्रोक्तानि सिद्धये सर्वकर्मणाम्।।13।।

पन्च एतानि महाबाहो कारणानि निबोध मे। साङ्ख्ये कृत-अन्ते पश्च प्रोक्तानि सिद्धये सर्व कर्मनाम्
।। १३ ।।

शब्दार्थ

(महाबाहो) हे महाबाहो (अर्जुन) (सर्व) सारे (कर्मनाम्) कर्म के (सिद्धये) सही होने के लिए (पांच) पांच (कारणानि) कारण (बताऐ गए है) (साडख्ये) वेदों में (कृत-अन्ते) कर्म को प्रोत्साहित करने वाले कारण और उन कर्मों के अंत (परिणाम) का (प्रोक्तानि) (मैं तुमसे) वर्णन करता हूँ। (एतानि) इन सबके बारे में (मे) मुझसे (निबोध) सुनो।

अनुवाद

अर्जुन को अपने युद्ध करने के कर्म पर संदेह था कि वह पुण्य है या पाप, तो ईश्वर ने इन श्लोकों में कोई कर्म पुण्य या पाप है। इसके निर्णय करने का मापदंड बताया है। हे महाबाहो (अर्जुन)! सारे कर्म के (perfect) सही होने के लिए पांच कारण बताए गए हैं। वेदों में कर्म को प्रोत्साहित करने वाले कारण बताए गए हैं और उन कर्मों के अंत परिणाम का मैं तुमसे वर्णन करता हूँ। इन सबके बारे में मुझसे सुनो।