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विषय नं. 56 - योगेश्वर श्री कृष्ण



अध्याय नं. 11 ,श्लोक नं. 9
श्लोक

संजय उवाच
एवमुक्त्वा ततो राजन्महायोगेश्वरो हरिः । दर्शयामास पार्थाय परमं रूपमैश्वरम् ॥9॥

एराम् उक्तवा ततः राजन् महा-योग-ईश्वर हरिः । दर्शयामास पार्थाय परमम् रुपम् ऐश्वरम् ।।९।।

शब्दार्थ

राजन (धृतराष्ट्र ) ( एवम् ) इस तरह ( उक्त्वा) कहते हुए (योग-ईश्वर ) योग-ईश्वर (महा) महान (हरिः) श्री कृष्ण (आस) के स्थान से (ततः) उस (ईश्वर ने) (पार्थाय) पार्थ (अर्जुन को) (ऐश्वरम्) ईश्वर द्वारा निर्माण कि गई। (परमम् ) महान (रुपम् ) रचनाओं को (दर्शयामास) दिखाया।

अनुवाद

संजय ने कहा, हे राजन (धृतराष्ट्र)! इस तरह कहते हुए योग-ईश्वर महान श्री "कृष्ण के स्थान से उस ईश्वर ने पार्थ (अर्जुन को) ईश्वर द्वारा निर्माण की गई महान रचनाओं को दिखाया।