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विषय नं. 58 - महापुरुषों के नाम



अध्याय नं. 4 ,श्लोक नं. 1
श्लोक

श्री भगवानुवाच
इमं विवस्वते योगं प्रोक्तवानहमव्ययम् । विवस्वान्मनवे प्राह मनुरिक्ष्वाकवेऽब्रवीत् ॥1॥

श्री भगवान उवाच
इमम् विवस्वतेयोगम् प्रोक्तवान् अहम् अव्ययम्। विवस्वान् मनवेप्राह मनुः इक्ष्वाकवे अब्रवीत् ||१||

शब्दार्थ

( श्री भगवान उवाच) ईश्वर ने कहा (अहम् ) मैंने (इमम्) इस (अव्ययम्) कभी न बदलने वाला और (योगम्) ईश्वर से जोड़ने वाला ज्ञान (विवस्वते) विवस्वत से (प्रोत्कवान) कहा था। (विवस्वान ) विवस्वत ने (मनवे) मनु (से) (प्राह) कहा (मनु) मनु ने (इस दैविक ज्ञान को) (इक्ष्वाकवे) इक्ष्वाकु से (अब्रवीत) कहा।

अनुवाद

ईश्वर ने कहा! मैंने इस कभी न बदलने वाले और ईश्वर से जोड़ने वाले ज्ञान को विवस्वत से कहा था । विवस्वत ने मनु (से) कहा। मनु ने (इस दैविक ज्ञान को) इक्ष्वाकु से कहा।

नोट

श्लोक नं. ४.१ में ईश्वर ने चार महापुरुषों के नाम लिए हैं जिनको ईश्वर की ओर से अवतरित ज्ञान मिला था। विवस्वत मनु को 'मुस्लिम हजरत नूह' और इसाई 'प्रोफेट नोह' कहते हैं। मनु के बाद जिनको ईश्वर की ओर से अवतरित ज्ञान मिला उनके नाम पवित्र कुरआन में इस प्रकार है। हे मुहम्मद (स.) हमने तुम्हारी ओर उसी तरह अवतरित ज्ञान भेजा है जिस तरह नूह (मनु) और उनके बाद के पैगम्बरों की ओर अवतरित ज्ञान भेजा था। और (यही अवतरीत ज्ञान) हमने इब्राहीम और इस्माईल और इसहाक और याकूब और उनकी सन्तान (यूसुफ) और इसा और अय्यूब और यूनुस और हारुन और सुलैमान की ओर भेजी। और हमने दाऊद को जबूर (अवतरित ग्रंथ) प्रदान किया। (सूरे अन निसा, ४, आयत १६३) (अर्थात ईश्वर एक है, और उसने एक ही धर्म और ज्ञान के साथ सारे पैगंबरों को भेजा था।)