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विषय नं. 17 - प्रलय का वर्णन



अध्याय नं. 9 ,श्लोक नं. 7
श्लोक

सर्वभूतानि कौन्तेय प्रकृतिं यान्ति मामिकाम् । कल्पक्षये पुनस्तानि कल्पादौ विसृजाम्यहम् ॥7॥

सर्वभूतानि कौन्तेय प्रकृतिम् यान्ति मामिकाम् । कल्प-क्षये पुनः तानि कल्प-आदौ विसृजामि अहम् ॥ ७॥

शब्दार्थ

(कौन्तेय) हे कुन्ती पुत्र (अर्जुन)! (अहम्) मैंने (कल्प-आदौ ) ब्रह्मांड के आरम्भ में (तानि) इन सारे ( मनुष्यों) को (विसृजामि) निर्माण किया है। (कल्पक्षये) और ब्रह्माण्ड के अंत (प्रलय) के समय (मामिकाम् ) मेरी इच्छा से (प्रकृतिम्) ईश्वरीय प्रकृति के द्वारा (सर्वे) सारे ( भूतानि ) मनुष्य ( पुनः ) दोबारा (यान्ति) (उठाए) जाऐंगे।

अनुवाद

हे कुन्ती पुत्र (अर्जुन)! मैंने ब्रह्मांड के आरम्भ में इन सारे ( मनुष्यों) को निर्माण किया है और ब्रह्माण्ड के अंत (प्रलय) के समय मेरी इच्छा से ईश्वरीय प्रकृति के द्वारा सारे मनुष्य दुबारा (उठाए) जाऐंगे। (जीवित किए जाएंगे)

नोट

1.स्वामी प्रभुपाद जी ने श्लोक नं. ९.७ के अनुवाद में यान्ति का अर्थ to enter प्रवेश करना लिखा है। स्वामी राम सुखदास जी ने साधक-संजीवनी में श्लोक नं. ९.७ के अनुवाद में यान्ति का अर्थ “प्राप्त होना” लिखा है। श्लोक नं. १५.८ से १५.१० का अर्थ है कि प्रलय के समय ईश्वर सभी मनुष्यों के शरीर को फिर उत्पन्न करेगा और आत्मा शरीर में प्रवेश करेगी। इस कारण इस श्लोक नं. ९.७ में हमने यान्ति का अर्थ आत्मा का शरीर में प्रवेश करना या आत्मा का शरीर को प्राप्त करना या, मनुष्य का फिर जीवित होना या ईश्वर द्वारा प्रलय के दिन मनुष्य का दुबारा उठाया जाना लिया है। 2. प्रलय के दिन ईश्वर सभी मनुष्यों को फिर जीवित करेगा। इस विषय में पवित्र कुरआन में बहुतसी आयतें हैं। उनमें से एक निम्नलिखित है। “(ईश्वर में श्रद्धा न रखने वाले) कहते थे, क्या जब हम मरकर मिट्टी हो जाएँगे और हड्डीयों का पंजर रह जाएँगे तो फिर उठा खड़े किए जाएँगे? और क्या हमारे बाप-दादा भी उठाए जाएँगे जो पहले गुजर चुके हैं? हे पैगम्बर, इन लोगों से कहो, नि:संदेह अगले और पिछले सब एक दिन (प्रलय के दिन) जरुर इकट्ठे किए जाने वाले हैं। जिसका समय निश्चित किया जा चुका है।" (अर्थात प्रलय का समय निश्चित है और उस दिन सारे लोग जीवित किए जाएगें।) (सूरह अल वाकिया ५६, आयत ४७-५०)