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विषय नं. 20 - अन्य लोक (मृत्यु के बाद जीवन) का वर्णने



अध्याय नं. 7 ,श्लोक नं. 6
श्लोक

एतद्योनीनि भूतानि सर्वाणीत्युपधारय ।
अहं कृत्स्नस्य जगतः प्रभवः प्रलयस्तथा ॥6||

एतत योनिनी भूतानि सर्वाणि इति उपधारय । अहम् कृत्स्नस्य जगतः प्रभवः प्रलयः तथा ।।६।।

शब्दार्थ

(इति) इस प्रकार ( सर्वाणि) सभी (योनिनी भुतानि) धरती पर जन्म लेने वाले प्राणियों की (उपधारय) (सफलता और असफलता) निर्भर करता है। (एतत ) इन (दोनों पर, अर्थात पृथ्वी लोक और अन्य लोक पर) (तथा) और (अहम) मैं (ही) (प्रभवः) इस सृष्टि का आरंभ करने वाला हूँ। (कृत्सस्य) (और) सम्पूर्ण ( जगतः) जगत का (में ही) (प्रलयः) विनाश करने वाला हूँ।

अनुवाद

इस प्रकार सभी धरती पर जन्म लेने वाले प्राणियों की (सफलता और असफलता) निर्भर करती है इन दोनों पर, अर्थात पृथ्वी लोक और अन्य लोक पर)। और मैं (ही) इस सृष्टि का आरंभ करने वाला हूँ। (और) सम्पूर्ण जगत का (में ही) विनाश करने वाला हूँ।