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विषय नं. 22 - रूह का वर्णने



अध्याय नं. 2 ,श्लोक नं. 20
श्लोक

न जायते म्रियते वा कदाचि- न्नायं भूत्वा भविता वा न भूयः । अजो नित्यः शाश्वतोऽयं पुराणो-न हन्यते हन्यमाने शरीरे ||20||

न जायते म्रियते वा कदाचित् न अयम् भूत्वा भविता वा न भूयः । अजः नित्यः शाश्वतः अयम् पुराणः न हन्यते हन्यमाने शरीरे ।।२०।।

शब्दार्थ

(अयम्) यह (रुह) (न) न ( जायते) जन्म लेती है (वा) और (न) न (म्रियते) मरती है (वा) और किसी भी समय (न) न (भूत्वा) इसका अस्तित्व था (भविता) न इसका अस्तित्व है। ( न भूयः) न इसका अस्तित्व होगा। (अयम्) यह (रुह) (पुराण) सबसे प्राचीन है। (शरीरे) यह शरीर के (हन्यमाने) मृत्यु हन्यते) नहीं मरती। के साथ ( न हन्यते) नहीं मरती।

अनुवाद

यह (रुह) न जन्म लेती है और न मरती है और किसी भी समय न इसका अस्तित्व था न इसका अस्तित्व है और न इसका अस्तित्व होगा। यह (रुह) सब से प्राचीन है। यह शरीर के मृत्यु के साथ नहीं मरती ।