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विषय नं. 22 - रूह का वर्णने



अध्याय नं. 2 ,श्लोक नं. 28
श्लोक

अव्यक्तादीनि भूतानि व्यक्तमध्यानि भारत । अव्यक्तनिधनान्येव तत्र का परिदेवना ।।28॥

अव्यक्त-आदीनि भूतानि व्यक्त मध्यानि भारत । अव्यक्त निधनानि एव तत्र का परिदेवना ||२८||

शब्दार्थ

(भारत) हे अर्जुन! ( भुतानि) सभी प्राणी (अदिती) जन्म से पहले (अव्यक्त) प्रकट नहीं थे (मध्यानि) बीच में जन्म के बाद ( व्यक्त) दिखाई देते हैं। (एव) और फिर (निधनानि) मृत्यु के बाद (अव्यक्त) दिखाई नहीं देंगे। (तत्र) तो (यदि वह ) (परिदेवता ) ( मृत्यु पाकर अप्रकट हो गए इसमें) शोक की (का) क्या बात है।

अनुवाद

हे अर्जुन! सभी प्राणी जन्म से पहले प्रकट नहीं थे। बीच में जन्म के बाद दिखाई देते हैं और फिर मृत्यु के बाद दिखाई नहीं देंगे। तो (अगर वह ) ( मृत्यु पाकर अप्रकट हो गए, इसमें) शोक की क्या बात है।