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विषय नं. 24 - जीवन में परीक्षा का वर्णने



अध्याय नं. 18 ,श्लोक नं. 61
श्लोक

ईश्वरः सर्वभूतानां हृद्देशेऽजुर्न तिष्ठति। भ्रामयन्सर्वभूतानि यन्त्रारुढानि मायया ॥ 61॥

ईश्वरः सर्व-भूतानाम् हृत-देशे अर्जुन तिष्ठति । भ्रामयन् सर्व भूतानि यन्त्र आरुढानि मायया ।। ६१ ।।

शब्दार्थ

(अर्जुन) हे अर्जुन (सर्व) सारे (भूतानाम) मनुष्यों के (हृत) हृदय (देशे) में (ईश्वरः) ईश्वर (तिष्ठति) स्थित है (मौजुद है) (सर्व) (और वह) सभी (भुतानि) मनुष्यों की (मायया) परीक्षा लेने के लिए (यन्त्र) ( उनको समय के) यन्त्र पर (आरुढानि) सवार करके (भ्रामयन्) घुमता रहता है।

अनुवाद

हे अर्जुन! सारे मनुष्यों के हृदय में ईश्वर स्थित है (मौजुद है)। और वह सभी मनुष्यों की परीक्षा लेने के लिए उनको समय के यन्त्र पर सवार करके घुमता रहता है।

नोट

पवित्र कुरआन में ईश्वर ने कहा, “निश्चय ही धरती पर जो कुछ है उसे हमने उसकी शोभा बनाई है, ताकि हम उनकी (मनुष्य की) परीक्षा लें कि कौन उनमें कर्म की दृष्टी से सबसे अच्छा है।" (सूरह अल-कहफ-१८, आयत७)