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विषय नं. 25 - स्वर्ग का वर्णने



अध्याय नं. 15 ,श्लोक नं. 6
श्लोक

न तद्भासयते सूर्यो न शशाङ्को न पावकः ।
यद्गत्वा न निवर्तन्ते तद्धाम परमं मम ॥6॥

न तत् भासयते सूर्यः न शशाङ्कः न पावकः ।
यत् गत्वा न निवर्तन्ते तत् धाम परमम् मम् ।। ६ ।।

शब्दार्थ

(तत) वह (स्वर्ग) (न) न (सूर्य) सूर्य से (भासयते) प्रकाशित है (न) न (शशाङ्क:) चांद से (न) (और) न (ही) (पावकः) आग (से) (यतः) (यह वह स्थान है) जहाँ (गत्वा) जाकर (निर्वतन्ते) (इस लोक में कोई भी) वापस (न) नहीं (आता) (तत) वह (स्वर्ग का) (धाम) स्थान (ही) (मम) मेरा (परमम्) सर्वश्रेष्ठ और दिव्य स्थान है।

अनुवाद

वह (स्वर्ग) न सूर्य से प्रकाशित है न चांद से (और) न (ही) आग (से)। (यह वह स्थान है) जहाँ जाकर (इस लोक में कोई भी) वापस नहीं (आता ) । वह (स्वर्ग का) स्थान (ही) मेरा सर्वश्रेष्ठ और दिव्य स्थान है।