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विषय नं. 26 - स्वर्ग के लिए योग्याता



अध्याय नं. 2 ,श्लोक नं. 71
श्लोक

विहाय कामान्यः सर्वान्पुमांश्चरति निःस्पृहः । निर्ममो निरहंकारः स शान्तिमधिगच्छति ॥71||

विहाय कामान यः सर्वान पमान चरति निःस्पृहः । निर्ममः निरहङ्कारः सः शान्तिम् अधिगच्छति ।।७१।।

शब्दार्थ

(यः) जिस व्यक्ति ने (सर्वान) सर्व प्रकार के (कामान्) आनंद करने के इच्छाओं को (विहाय) त्याग दिया हो। (पमान) वह सज्जन जो (निःस्पृहः) आनंद भोगने की तीव्र इच्छा (निर्ममः) वासना की बिना (निरहड़ार: ) अहंकार के बिना (चरति) जीवन व्यतीत करता हो । (सः) वही व्यक्ति (शान्तिम् ) शांति (अधिगच्छति) प्राप्त करेगा। नोट: "निर्मम" का अर्थ है जिसको कोई वासना न हो। निष्काम। निर्माही जिसे ममता या मोह न हो। (पेज नं. ७१९, नालंदा विशाल शब्दकोश)

अनुवाद

जिस व्यक्ति ने सब प्रकार के आनंद करने के इच्छाओं को त्याग दिया हो। वह सज्जन जो आनंद भोगने की तीव्र इच्छा और वासना के बिना, अहंकार के बिना जीवन व्यतीत करता हो। वही व्यक्ति शांति प्राप्त करेगा।

नोट

"निर्मम" का अर्थ है जिसको कोई वासना न हो। निष्काम। निर्माही जिसे ममता या मोह न हो। (पेज नं. ७१९, नालंदा विशाल शब्दकोश)