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विषय नं. 27 - नरक का वर्णने



अध्याय नं. 1 ,श्लोक नं. 43
श्लोक

दोषैरेतैः कुलघ्नानां वर्णसंकरकारकैः । उत्साद्यन्ते जातिधर्माः कुलधर्माश्च शाश्वताः ॥43॥

दोषै एतैः कुलघ्नानाम् वर्ण-सङ्करः कारकैः । उत्साद्यन्ते जाति-धर्माः कुल-धर्माः च शाश्वताः ।। ४३ ॥

शब्दार्थ

( कुलघ्नानाम ) कुल का विनाश करने वाले (और) (वर्ण-संक कारकै ) दोगले वंश को जन्म देने वाले (एतें) इन (दाषै) दोषों से ( शाश्रवात ) सदा से चले आये (कुल-धर्मा) कुल धर्म (च) और (जाति-धर्म) जातिधर्म ( उत्साधन्ते) नष्ट हो जाते हैं।

अनुवाद

कुल का विनाश करने वाले (और) दोगले वंश को जन्म देने वाले इन दोषों से सदा से चले आये कुल धर्म और जातिधर्म नष्ट हो जाते हैं।