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विषय नं. 27 - नरक का वर्णने



अध्याय नं. 16 ,श्लोक नं. 16
श्लोक

अनेकचित्तविभ्रान्ता मोहजालसमावृताः।
प्रसक्ताः कामभोगेषु पतन्ति नरकेऽशुचौ ॥ 1 6 ॥

अनेक चित्त विभ्रान्ताः मोह जाल समावृताः।
प्रसक्ताः काम-भोगेषु पतन्ति नरके अशुचौ ।। १६ ।।

शब्दार्थ

(अनेक) अनेक (चित्त) चिंताओं (और) (विभ्रान्ता:) उलझनों (मोह) (और) भ्रम (के) (जाल) जाल में (समावृता:) फंसे हुए (काम भोगेषु) मन की इच्छाओं को पूरा करने के (प्रसक्ताः) आदि (addicted) (अशुचौ) (मरने के बाद) गंदे (नरके) नर्क (में) (पतन्ति) उतर जाते हैं।

अनुवाद

अनेक चिंताओं और उलझनों (और) भ्रम के जाल में फंसे हुए, मन की इच्छाओं को पूरा करने के आदि (addicted), मरने के बाद गंदे नर्क में उतर जाते हैं।