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विषय नं. 30 - धार्मिक ज्ञान का महत्व



अध्याय नं. 7 ,श्लोक नं. 2
श्लोक

ज्ञानं तेऽहं सविज्ञानमिदं वक्ष्याम्यशेषतः । यज्ज्ञात्वा नेह भूयोऽन्यज्ज्ञातव्यमवशिष्यते ॥2॥

ज्ञानम् ते अहम् स विज्ञानम् इदम् वक्ष्यामि अशेषतः । यत् ज्ञात्वा न इह भूयः अन्यत् ज्ञातव्यम् अवशिष्यते ॥२॥

शब्दार्थ

(अशेषतः) कुशलता से (ज्ञानम) इस ज्ञान (स) (और इसके) साथ (विज्ञानम्) विज्ञान (को) (अहम्) मैं (ते) तुम (से) (वक्ष्यामि ) कहूँगा (यते) जिसे (ज्ञात्वा) जानकर (इह) इस संसार में (भूयः) फिर से (तुम्हें) (अन्यत्) कोई और ज्ञान (ज्ञातव्यम्) जानने की (अवशिष्यते) आवश्यकता (न) नहीं रहेगी।

अनुवाद

कुशलता से इस ज्ञान (और इसके) साथ विज्ञान (को) मैं तुमसे कहूँगा। जिसे जानकर इस संसार में फिर से (तुम्हें) कोई और ज्ञान जानने की आवश्यकता नहीं रहेंगी।