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विषय नं. 30 - धार्मिक ज्ञान का महत्व



अध्याय नं. 13 ,श्लोक नं. 12
श्लोक

अध्यात्मज्ञाननित्यत्वं तत्वज्ञानार्थदर्शनम् । एतज्ज्ञानमिति प्रोक्तमज्ञानं यदतोऽन्यथा ॥12॥

अध्यात्म ज्ञान नित्यत्वम् तत्त्वज्ञान अर्थ दर्शनम एतत् ज्ञानम् इति प्रोक्तम् अज्ञानम् यत् अतः अन्यथा
॥१२॥

शब्दार्थ

(अध्यात्म) ईश्वर (प्रोक्तम्) यह घोषणा करता है कि (ज्ञान) (धर्म का जो) ज्ञान है (तत्त्वज्ञान) वही सत्य ज्ञान है (अर्थ) और इसी उद्देश्य से (एतत्) यह सब (ज्ञानम्) ज्ञान (दर्शनम्) (हे अर्जुन) आपको दिखाया गया है (इति) इस लिए (अतः अन्यथा) इसके अतिरिक्त (यत्) जो कुछ (ज्ञान है) (अज्ञानम् ) उन्हें अज्ञानता समझो।

अनुवाद

(अध्यात्म) ईश्वर (प्रोक्तम्) यह घोषणा करता है कि (ज्ञान) (धर्म का जो) ज्ञान है (तत्त्वज्ञान) वही सत्य ज्ञान है (अर्थ) और इसी उद्देश्य से (एतत्) यह सब (ज्ञानम्) ज्ञान (दर्शनम्) (हे अर्जुन) आपको दिखाया गया है (इति) इस लिए (अतः अन्यथा) इसके अतिरिक्त (यत्) जो कुछ (ज्ञान है) (अज्ञानम् ) उन्हें अज्ञानता समझो।