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विषय नं. 32 - प्रार्थना



अध्याय नं. 8 ,श्लोक नं. 7
श्लोक

तस्मात्सर्वेषु कालेषु मामनुस्मर युद्ध च मय्यर्पितमनोबुद्धिर्मामेवैष्यस्यसंशयम् ॥7॥

तस्मात् सर्वेषु कालेषु माम् अनुस्मर युध्य च । मयि अर्पित मनः बुद्धि: माम् एव एष्यसि असंशयः ।।७।।

शब्दार्थ

(तस्मात् ) इस कारण (सर्वेषु ) हर (कालेषु ) समय (माम् ) मुझे ही (अनुस्मर) याद करते रहो (मनः) मन (च) और (बुद्धि) बुद्धि को (मयि) मुझे (अर्पित) अर्पण करने के लिए (युद्ध) (अपने आपसे) युद्ध करो (असंशय ) नि:संदेह (इस तरह तुम) (माम) मुझे (एष्यसि ) पा लोगे।

अनुवाद

इस कारण हर समय मुझे ही स्मरण (याद) करते रहो। मन और बुद्धि को मुझे अर्पण करने के लिए (अपने आपसे) युद्ध करो। नि:संदेह (इस तरह तुम) मुझे पा लोगे।

नोट

ईश्वर ने पवित्र कुरआन में कहा, और मैंने जिन्न और मनुष्य को केवल इसलिए पैदा किया है कि वे मेरी प्रार्थना करें। (सूरे अज जारियात ५१, आयत ५६)