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विषय नं. 43 - मनुष्य के 3 प्राकार के स्वभाव



अध्याय नं. 14 ,श्लोक नं. 14
श्लोक

यदा सत्त्वे प्रवृद्धे तु प्रलयं याति देहभृत् ।
तदोत्तमविदां लोकानमलान्प्रतिपद्यते ॥14॥

यदा सत्वे प्रवृद्धे तु प्रलयम् याति देह-भृत् ।
तथा उत्तम विदाम् लोकान् अमलान् प्रतिपद्यते ।।१४।।

शब्दार्थ

(तु) (किन्तु) (यदा) जब (प्रलयम्) (जीवन के) अन्त (याति) होने तक (मृत्यु के समय तक) (देह) शरीर वाले (भृत्) मनुष्य के (सत्वे) सत्व गुण (मे) (प्रवृद्धे) बढ़त होती रहे (तद) तब ( ऐसा मनुष्य मृत्यु के बाद) (उत्तम) बड़े (विदाम) विद्वानों के (अमलान्) पवित्र (लोकान्) लोक (स्वर्ग को) (प्रतिपद्यते) प्राप्त करेगा।

अनुवाद

(किन्तु) जब (जीवन के) अन्त होने तक (मृत्यु के समय तक) शरीर वाले मनुष्य के सत्व गुण (में) बढ़त होती रहे। तब ऐसा मनुष्य मृत्यु के बाद बड़े विद्वानों के पवित्र लोक (स्वर्ग को) प्राप्त करेगा।

नोट

पवित्र कुरआन में स्वर्ग में जाने वालो का निम्निलिखीत उल्लेख है। (स्वर्ग में )सदैव रहने के बाग है, जिनमें वे प्रवेश करेगें। वहाँ उन्हे सोने के कंगनो और मोती से आभूषित किया जाएगा। और वहाँ उनके वस्त्र रेशम के होंगे। और वे कहेगें, "सब प्रशंसा ईश्वर के लिए है जिसने हम से गम दूर कर दिया। निश्चय ही हमारा ईश्वर अतयंत क्षमाशील, बडा गुणग्राहक है। जिसने हमें अपने उदार अनुग्रह से रहने के ऐसे घर में उतारा जहाँ न हमें कोई कठिनाई उठानी पड़ती है और न कोई थकान ही आती है। रहे वे लोग जिन्होने इन्कार किया, उनके लिए नर्क की आग है, न उनका काम तमाम किया जाएगा कि मर जाएँ और न उमसे उनकी यातना ही कुछ हलकी की जाएगी। हम ऐसा ही बदला प्रत्येक अकृतज्ञ को देते हैं। वे वहाँ चिल्लाएँगे की, “हे हमारे ईश्वर हमें नर्क से निकाल ले। हम अच्छा कर्म करेगें, उससे भिन्न जो हम करते रहे। (ईश्वर कहेगा) क्या हम ने तुम्हे इतनी आयु नही दी की जिसमें कोई होश में आना चाहता तो होश में आ जाता? और तुम्हारे पास सचेतकर्ता भी आया था, तो अब मजा चखते रहो! जालिमो (पापियों) को कोई सहायत नहीं । (सूरह फातिर: ३५ आयत ३३:३७)