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विषय नं. 43 - मनुष्य के 3 प्राकार के स्वभाव



अध्याय नं. 14 ,श्लोक नं. 18
श्लोक

ऊर्ध्वं गच्छन्ति सत्त्वस्था मध्ये तिष्ठन्ति राजसाः । जघन्यगुणवृत्तिस्था अधो गच्छन्ति तामसाः ॥18॥

उध्वर्म गच्छन्ति सत्व-स्थाः मध्ये तिष्ठन्ति राजसाः ।
जघन्य गुण वृत्ति स्थाः अधः गच्छन्ति तामसाः ।।१८।।

शब्दार्थ

(वृत्ति-स्थाः) मृत्यु पाया हुआ व्यक्ति (गुण) गुणों के आधार पर (अध:) नर्क में (गच्छन्ति) (इस तरह) जाऐंगे (सत्व-स्था: ) सत्वगुण में स्थित रहने वाले (उर्ध्वम्) (नर्क में) उपरी भाग (गच्छन्ति) जाऐंगे (राजसा) रजो गुण वाले (मध्ये) (नर्क में) मध्य भाग में (तिष्ठन्ति) स्थित किए जाऐंगे (जघन्य) और सबसे निचले भाग को (तामसा:) तमो गुण वाले (गच्छन्ति) जाऐंगे।

अनुवाद

मृत्यु पाया हुआ व्यक्ति गुणों के आधार पर नर्क में इस तरह जाऐंगे। सत्वगुण में स्थित रहने वाले (नर्क में) ऊपरी भाग में स्थित किए जाऐंगे। रजो गुण वाले (नर्क में) मध्य भाग में स्थित किए जाएंगे और सबसे निचले भाग में तमो गुण वाले जाऐंगे। सत्व गुण वाले तीन कारणों से नर्क में जाऐंगे। १. सत्कर्मों का कम होना। २. ईश्वर में श्रद्धा न होना। ३. ईश्वर को प्रसन्न करने के बदले पुण्य को अधिक महत्त्व देना।