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विषय नं. 46 - सज्जन/भले व्यक्ती की गुण



अध्याय नं. 12 ,श्लोक नं. 19
श्लोक

तुल्यनिन्दास्तुतिमनी सन्तुष्टो येन केनचित् ।
अनिकेतः स्थिरमतिर्भक्तिमान्मे प्रियो नरः ॥

तुल्य निन्दा स्तुतिः मौनी सन्तुष्टः येन केनचित् ।
अनिकेतः स्थिरः मतिः भक्तिमान् मे प्रियः नरः।। १९ ।।

शब्दार्थ

(निन्दा) (जिसके लिए) निन्दा (स्तुतिः) (और) प्रशंसा (तुल्य) एक समान है (मौनी) खामोश (मौन) रहने वाला (येन केनचित्) सब प्रकार के परस्थिति में ( सन्तुष्ट ) सन्तुष्ट रहने वाला (अनिकेतः) बेघर (* किसी स्थान से जुड़ा नहीं, सम्पूर्ण पृथ्वी जिसके लिए एक समान हैं वह देश और प्रान्त के नाम पर नफरत नहीं करता ) दृढ श्रद्धा वाला, मेरी भक्ति में सम्मान अनुभव करने वाला, ऐसा मनुष्य मुझे प्रिय है।

अनुवाद

(जिसके लिए) निन्दा (और) प्रशंसा एक समान है। खामोश रहने वाला। सब प्रकार के परिस्थिति सन्तुष्ट रहने वाला । बेघर (* किसी स्थान से में जुड़ा नहीं, सम्पूर्ण पृथ्वी जिसके लिए एक समान हैं, वह देश और प्रान्त के नाम पर नफरत नहीं करता) दृढ श्रद्धा वाला, मेरी भक्ति में सम्मान अनुभव करने वाला, ऐसा मनुष्य मुझे प्रिय है।