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विषय नं. 46 - सज्जन/भले व्यक्ती की गुण



अध्याय नं. 12 ,श्लोक नं. 20
श्लोक

ये तु धर्म्यामृतमिदं यथोक्तं पर्युपासते।
श्रद्धाना मत्परमा भक्तास्तेऽतीव मे प्रियाः ॥

ये तु धर्म अमृतम् इदम् यथा उक्तम् पर्युपासते ।
श्रद्धधानाः मत परमाः भक्ताः ते अतीव मे प्रियाः।। २० ।।

शब्दार्थ

(च) जो व्यक्ति (इदम्) इस (धर्म) धर्म (और) (अमृतम्) स्वर्ग (के बारे में ) (यथा) जिस तरह (उक्तम्) कहा गया है (पर्युपासते ) ( उस पर) पूर्णतया ( श्रद्धधानाः) श्रद्धा रखते हुए ( मत ) मुझे (परमा) सबसे महान ईश्वर की (भक्ताः) भक्ति में (लगा हुआ है) (ते) वह (मे) मुझे (अतीव) सबसे अधिक (प्रियाः) प्रिय है।

अनुवाद

जो व्यक्ति इस धर्म (और) स्वर्ग ( के बारे में) जिस तरह कहा गया है (उस पर) पूर्णतया श्रद्धा रखते हुए, मुझे सबसे महान ईश्वर की भक्ति में (लगा हुआ है), वह मुझे सबसे अधिक प्रिय है।