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विषय नं. 46 - सज्जन/भले व्यक्ती की गुण



अध्याय नं. 16 ,श्लोक नं. 3
श्लोक

तेजः क्षमा धृतिः शौचमद्रोहोनातिमानिता ।
भवन्ति सम्पदं दैवीमभिजातस्य भारत ॥3॥

तेजः क्षमा धृतिः शौचम् अद्रोहः न अति मानिता ।
भवन्ति सम्पदम् दैवीम् अभिजातस्य भारत ।। ३ ।।

शब्दार्थ

(तेज:) स्वास्थ का अच्छा होना (शक्तिशाली होना) (क्षमा) दुसरों को क्षमा करना (धृतिः) अपने लक्ष्य पर दृढता से स्थित रहना (शौचम्) स्वच्छ रहना (अद्रोह) न द्वेष न शत्रुता रखना (न अति-मानिता) दूसरों से आदर (सम्मान) की अपेक्षा न रखना (भारत) हे अर्जुन (भवन्ति) यह सब (सम्पदम्) गुण (दैवीम्) ईश्वर के आदेश का पालन करने से (अभिजातस्य) मनुष्य को प्राप्त होते है, या उनमें उत्पन्न होते है।

अनुवाद

स्वास्थ का अच्छा होना ( शक्तिशाली होना )। दुसरों को क्षमा करना, अपने लक्ष्य पर दृढ़ता से स्थित रहना, स्वच्छ रहना, न द्वेष न शत्रुता रखना, दूसरों से आदर की अपेक्षा न रखना । हे अर्जुन, यह सब गुण ईश्वर के आदेश का पालन करने से मनुष्य को प्राप्त होते हैं, या उनमें उत्पन्न होते हैं।

नोट

सज्जन पुरुष के गुणों का वर्णन इस प्रकार है। ईश्वर ने पवित्र कुरआन में कहा, जो कुछ भी तुम लोगों को दिया गया है वह सिर्फ दुनिया की कुछ दिनों की ज़िन्दगी का सामान है। और जो कुछ ईश्वर के यहाँ है वह अच्छा भी है और बाकी रहने वाला भी। वह उन लोगों के लिए है जो ईमान लाए हैं और अपने रब पर भरोसा करते हैं। जो बड़े-बड़े गुनाहों और अश्लील कर्मों से बचते हैं। और अगर गुस्सा आ जाए तो माफ कर जाते हैं। जो अपने रब का आदेश मानते हैं। नमाज कायम करते हैं। अपने मामले आपस के परामर्श से चलाते हैं। हमने जो कुछ भी रोज़ी उन्हें दी है उसमें से खर्च करते हैं। और जब उन पर ज्यादती की जाती है तो उसका मुकाबला करते हैं। बुराई का बदला वैसी ही बुराई है, फिर जो कोई माफ कर दे और सुधार करे उसका बदला ईश्वर के ज़िम्मे है। ईश्वर ज़ालिमों को पसन्द नहीं करता। और जो लोग जुल्म होने के बाद बदला लें तो उनकी निन्दा नहीं की जा सकती। निन्दनीय तो वे हैं जो दूसरों पर जुल्म करते हैं और ज़मीन में नाहक ज्यादतियाँ करते हैं। ऐसे लोगों के लिए दर्दनाक अज़ाब है। किन्तु जिसने धैर्य से काम लिया और क्षमा कर दिया तो निश्चय ही वह उन कामों में से है जो (सफलता के लिए) आवश्यक ठहरा दिए गए हैं। (तो यह हिम्मत के काम हैं) (पवित्र कुरआन ४२:३६-४३)