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विषय नं. 1 - अहिंसा



अध्याय नं. 13 ,श्लोक नं. 8
श्लोक

अमानित्वमदम्भित्वमहिंसा क्षान्तिरार्जवम् । आचार्योपासनं शौचं स्थैर्यमात्मविनिग्रहः ॥8॥

अमानित्वम् अदम्भित्वम् अहिंसा क्षान्ति आर्जवम । आचार्य उपासनम् शौचम् स्थैर्यम् आत्मविनिग्रहः ।।८।।

शब्दार्थ

( अमानित्वम्) विनम्र स्वभाव का होना ( अदम्भित्वम्) दिखावटीपन न होना (अहिंसा) अहिंसा को पसंद करना (क्षान्तिः) क्षमा करने वाला होना (आर्जवम् ) स्वभाव में सरलता का होना (आचार्य उपासनम् ) गुरु की सेवा करना (शौचम्) स्वच्छता को पसंद करना (स्थैर्यम्) स्वभाव में दृढ़ता का होना (आत्म विनिग्रहः) मन को वश में रखना।

अनुवाद

विनम्र स्वभाव का होना, दिखावटीपन न होना, अहिंसा को पसंद करना, क्षमा करने वाला होना, स्वभाव में सरलता का होना, गुरु की सेवा करना, स्वच्छता को पसंद करना, स्वभाव में दृढ़ता का होना, मन को वश में रखना ।