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विषय नं. 47 - दुर्जानो के गुण



अध्याय नं. 16 ,श्लोक नं. 9
श्लोक

एतां दृष्टिमवष्टभ्य नष्टात्मानोऽल्पबुद्धयः ।
प्रभवन्त्युग्रकर्माणः क्षयाय जगतोऽहिताः ॥9॥

एताम् दृष्टिम् अवष्टभ्य नष्ट आत्मानः अल्प बुद्धयः । प्रभवन्ति उग्र कर्माणः क्षयाय जगतः अहिताः ।। ९ ।।

शब्दार्थ

(अल्प-बुद्धयः) यह मूर्ख लोग (एताम) ऐसा (नष्ट) विनाशकारी (दृष्टिम्) दृष्टिकोण (अत्मान) स्वयम अपनाते है (अहिता:) (और एक) शत्रु (की तरह) (प्रभवन्ति) यह उठ खड़े होते हैं। (उग्र-कर्माण:) और ऐसे क्रूरता वाले काम करते हैं (जगत) (जो) जगत का (क्षयाय) विनाश कर दे।

अनुवाद

यह मूर्ख लोग ऐसा विनाशकारी दृष्टिकोण स्वयम अपनाते हैं, और एक शत्रु की तरह यह उठ खड़े होते हैं और ऐसे क्रूरता वाले काम करते हैं जो जगत का विनाश कर दे।