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विषय नं. 47 - दुर्जानो के गुण



अध्याय नं. 16 ,श्लोक नं. 11
श्लोक

चिन्तामपरिमेयां च प्रलयान्तामुपाश्रिताः।
कामोपभोगपरमा एतावदिति निश्चिताः ॥11॥

चिन्ताम् अपरिमेयाम् च प्रलय अन्ताम् उपाश्रिताः । काम-उपभोग परमाः एतावत् इति निश्चिताः ।। ११ ।।

शब्दार्थ

(काम-उपभोग) इच्छाओं को पूरा करना (यही ) (परमा:) (जीवन का) सबसे बड़ा ( उद्देश्य) (उपश्रिता) अपनाते हैं। (एतावत् इति) अभी तो मेरे पास केवल इतना ही ( मुझे और बहुत कुछ प्राप्त करना है) (निश्चिता:) (इस तरह का उनका) मज़बूत (दृष्टिकोण होता है) (च) और (फिर) (प्रलय-अन्ताम् ) जीवन के अंत तक (उपरिमेयाम्) अनंत (चिन्ताम् ) चिन्ताओं में घिरे रहते हैं।

अनुवाद

(असुरी गुणों वाले लोग) इच्छाओं को पूरा करना (यही) (जीवन का) सबसे बड़ा (उद्देश्य) अपनाते हैं। “अभी तो मेरे पास केवल इतना ही है" ( मुझे और बहुत कुछ प्राप्त करना है) (इस तरह का उनका) मज़बूत (दृष्टिकोण होता है), और (फिर) जीवन के अंत तक अनंत चिन्ताओं में घिरे रहते हैं।