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विषय नं. 47 - दुर्जानो के गुण



अध्याय नं. 16 ,श्लोक नं. 12
श्लोक

आशापाशशतैर्बद्धाः कामक्रोधपरायणाः ।
ईहन्ते कामभोगार्थमन्यायेनार्थसञ्चयान्।12।।

आशा-पाश शतैः बद्धाः काम क्रोध परायणाः ।
ईहन्ते काम भोग अर्थम् अन्यायेन अर्थ सन्चयान् ।।१२।।

शब्दार्थ

(शतै) सैकडों (आशा-पाश) आशाओं के जाल में (बद्धा:) फंसे रहते हैं। (परायणा:) (उनके मन पर) सदैव (काम: क्रोध:) इच्छाएं और क्रोध (सवार रहते हैं) (अन्यायेन) (वह) अवैध तरीके से (अर्थ) धन-सम्पत्ती (सन्चयान्) जमा करने में (और) (काम) मनचाही वस्तुओं से ( भोग) आनंद लेने के (इहन्ते) प्रयास में लगे रहते हैं।

अनुवाद

(असुरी गुणों के लोग) सैकडों आशाओं के जाल में फंसे रहते हैं। उनके मन पर सदैव इच्छाएं और क्रोध सवार रहते हैं।(वह) अवैध तरीके से धन-सम्पत्ति जमा करने में और मनचाही वस्तुओं से आनंद लेने के प्रयास में लगे रहते हैं।