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विषय नं. 47 - दुर्जानो के गुण



अध्याय नं. 16 ,श्लोक नं. 13
श्लोक

इदमद्य मया लब्धमिमं प्राप्स्ये मनोरथम्।
इदमस्तीदमपि मे भविष्यति पुनर्धनम्।। 13॥

इदम् अद् मया लब्धम् इमम् प्राप्स्ये मनः रथम् ।
इदम् अस्ति इदम् अपि मे भविष्यति पुनः धनम् ।।१३।।

शब्दार्थ

(अध) आज (इदम) यह (लब्धम्) जो कुछ भी मुझे प्राप्त है (मया ) (वह) मेरे (कारण है ) (इदम्) (मेरे) इस ( मन:रथम्) बुद्धिमान मस्तिष्क और प्रयास से है (इदम्) यह (जो कुछ) (अस्ति) है (मे) (वह) मेरा (है) (भविष्यति) भविष्य में (अपि) भी (इदम) यह (धनम्) धन (पुन:) और (अधिक होगा)।

अनुवाद

(असुरी गुणों वाले लोगों का दृष्टिकोण यह होता हैं कि) आज यह जो कुछ भी मुझे प्राप्त है वह मेरे कारण है। मेरे इस बुद्धिमान मस्तिष्क और प्रयास से है। यह जो कुछ है वह मेरा है। भविष्य में भी यह धन और अधिक होगा।

नोट

ईश्वर ने पवित्र कुरआन में कहा कि, “यही इन्सान जब ज़रा-सी मुसीबत इसे छू जाती है तो हमें पुकारता है, और जब हम इसे अपनी ओर से नेअमत देकर तृप्त कर देते हैं तो कहता है कि यह तो मुझे मेरे ज्ञान के कारण दिया गया है! नहीं, बल्कि यह परीक्षा है, मगर इनमें से ज्यादातर लोग जानते नहीं है।” (पवित्र कुरआन ३९:४९)