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विषय नं. 47 - दुर्जानो के गुण



अध्याय नं. 16 ,श्लोक नं. 17
श्लोक

आत्मसम्भाविताः स्तब्धा धनमानमदान्विताः।
यजन्ते नामयज्ञैस्ते दम्भेनाविधिपूर्वकम् ॥17॥

आत्म-सम्भाविताः स्तब्धाः धन-मान मद अन्विताः ।
यजन्ते नाम यज्ञै ते दम्भेन अविधि-पूर्वकम् ।।१७।।

शब्दार्थ

(आत्म-सम्भाविताः) अपने गलत श्रद्धाओं को सही समझते हैं (यज्ञै) इनकी प्रार्थनाएं ( धन मान) धन और सम्मान का दिखावा (मद) घमंड (स्तब्धा) बेशर्म ढ़िठाई (अन्विता:) से भरी होती है (ते) यह लोग (नाम) नाम (दम्भेन) और दिखावे के लिए (यजन्ते) प्रार्थनाओं का आयोजन करते हैं। (अविधि-पूर्वकम् ) वह भी धार्मिक नियमों का पालन न करते हुए।

अनुवाद

(असुरी गुणों के लोग) अपने गलत श्रद्धाओं को सही समझते हैं। इनकी प्रार्थनाएं, धन और सम्मान का दिखावा, घमंड, बेशर्म ढ़िठाई से भरी होती है। यह लोग नाम और दिखावे के लिए प्रार्थनाओं का आयोजन करते हैं। वह भी धार्मिक नियमों का पालन न करते हुए।

नोट

ईश्वर ने पवित्र कुरआन में कहा कि, “मुझे पुकारो, मैं तुम्हारी दुआएँ कबूल करुँगा,जो लोग घमण्ड में आकर मेरी बन्दगी से मुँह मोड़ते हैं, जरुर वे अपमानित होकर जहन्नम में प्रवेश करेंगे।” (पवित्र कुरआन ४०:६०)