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विषय नं. 47 - दुर्जानो के गुण



अध्याय नं. 16 ,श्लोक नं. 21
श्लोक

त्रिविधं नरकस्येदं द्वारं नाशनमात्मनः |
काम: क्रोधस्तथा लोभस्तस्मादेतत्त्रयं त्यजेत् ||21||

त्रिविधम् नरकस्य इदम् द्वारम् नाशनम् आत्मनः ।
कामः क्रोधः तथा लोभः तस्मात् एतत् त्रयम् त्यजेत् ।।२१।।

शब्दार्थ

(त्रिविधम) तीन भावनाएं भी (आत्मनः) मनुष्य (के लिए) (नाशनम्) विनाश का कारण है (वह है) (काम) अपनी इच्छाओं को पूरा करना (लोभः) लालच (क्रोध:) और क्रोध (इदम्) यह (तीनों भावनाएं भी) (नरकस्य) नर्क (के) (द्वारम्) द्वार हैं (तस्मात्) इस कारण (एतत्) इन (त्रयम्) तीनों भावनाओं को भी (त्यजेत) त्याग देना चाहिए।

अनुवाद

तीन भावनाएं भी मनुष्य के लिए विनाश का कारण है (वह है) अपनी इच्छाओं को पूरा करना, लालच और क्रोध। यह तीनों भावनाएं भी नर्क के द्वार हैं। इस कारण इन तीनों भावनाओं को भी त्याग देना चाहिए।

नोट

पैगम्बर मुहम्मद साहब (स.) ने कहा कि, तीन बातें विनाश करने वाली है। १. लालच और कंजुसी २. अपनी इच्छाओं के अनुसार जीवन व्यतीत करना (धर्म को छोड़कर) ३. अपने आपको दूसरों से अच्छा समझना। (हदीस-तिबरानी अवसत ५४५२) पैगंबर मुहम्मद साहब (स.) ने कहा कि, नि:संदेह! क्रोध शैतान की तरफ से होता है (आसूरी गुण) (हदीस-अबुदाऊद-४७८४) ईश्वर ने पवित्र कुरआन में कहा कि, कोई व्यक्ति दुसरे व्यक्ति के पापों का बोझ नहीं उठाएगा। मनुष्य को वही मिलता है जिसका वह प्रयास करता है। और उसका प्रयास भी देखा जाएगा। फिर उसे पूरा बदला दिया जाएगा। अर्थात अगर स्वर्ग को प्राप्त करने के लिए प्रयास करेगा तो ही उसे स्वर्ग मिलेगा। और पुण्य भी जांचे जाऐंगे की निस्वार्थ किए गए हों। दिखावे के लिए किए गए पुण्य का कुछ बदला नहीं मिलेगा। (सूरे अनजुम-५ ३ आयत-३८-४१)