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विषय नं. 49 - स्वार्थरहित कर्म का वर्णन



अध्याय नं. 14 ,श्लोक नं. 15
श्लोक

रजसि प्रलयं गत्वा कर्मसङ्गिषु जायते ।
तथा प्रलीनस्तमसि मूढयोनिषु जायते ॥15॥

रजसि प्रलयम् गत्वा कर्म-सङ्गिषु जायते ।
तथा प्रलीनः तमसि मूढयोनिषु जायते ।।१५।।

शब्दार्थ

(श्लोक नं. १४.१८ में हे की तीनों गुण वाले नर्क में जाएंगे। इनमें रजोगुण और तमोगुण वालों का वर्णन निम्नलिखित है।) (प्रलयम्) जीवन के अंत (के बाद) (रजसि) रजो गुण वाले (जायते) (नर्क में) नया जीवन (गत्वा) पाएंगे (कर्म-सङ्गिषु) उन लोगों में जो जीवन में निंरतर काम में लगे थे। (तथा ) इस तरह (प्रलीन:) जीवन के अंत (के बाद) (तमसि) तमो गुण वाले (नर्क में) (जायते) नया जीवन पाऐंगे (मूढयोनिषु) मूर्खों के समूह में।

अनुवाद

जीवन के अंत के बाद रजो गुण वाले नर्क में नया जीवन पाएंगे उन लोगों में जो जीवन में निंरतर काम में लगे थे। इस तरह जीवन के अंत के बाद तमो गुण वाले नर्क में नया जीवन पाएंगे मूर्खों के समूह में।