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विषय नं. 53 - सामाजिक समानता



अध्याय नं. 5 ,श्लोक नं. 19
श्लोक

इहैव तैर्जितः सर्गो येषां साम्ये स्थितं मनः । निर्दोषं हि समं ब्रह्म तस्माद ब्रह्मणि ते स्थिताः ॥19॥

इह एव तैः जितः सर्गः येषाम् साम्ये स्थितम् मनः । निर्दोषम् हि समम् ब्रह्म तस्मात् ब्रह्मणि ते स्थिताः ।। १९ ।।

शब्दार्थ

(ते) वह (ब्रह्मणि) ईश्वर की श्रद्धा में स्थिता ) दृढता से स्थित थे (तस्मात ) इस कारण (तै) उन्होंने (इह एव) इस जीवन में (सर्गः) सारे सृष्टि को (जितः) जिता (त्रेषाम) यह वह (लोग थे) (मनः) जिनके मन: (निर्दोषम) बिना दोष (संदेह) के (बह्म) ईश्वर (समम् ) की तरह (साम्ये) समानता और न्याय के सिद्धांत पर (स्थिताः) स्थित थे।

अनुवाद

वह ईश्वर की श्रद्धा में दृढता से स्थित थे। इस कारण उन्होंने इस जीवन में सारे सृष्टि को जीता। यह वह (लोग थे) जिनके मन: बिना दोष (संदेह) के ईश्वर की तरह समानता और न्याय के सिद्धांत पर स्थित थे।

नोट

ईश्वर ने कुरआन में कहा कि, ईश्वर ने उन लोगों से जो तुममें ईश्वर पर श्रद्धा रखते हैं और अनुकूल कर्म किए, यह वादा किया है कि वह उन्हें धरती में राज्याधिकारी बनायेगा। जैसा वह उनसे पहले के लोगों को राज्याधिकारी बना चुका है। (सुरे-अन-नूर (२४) आयत ५५ )