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विषय नं. 6 - ईश्वर के गुण



अध्याय नं. 7 ,श्लोक नं. 24
श्लोक

अव्यक्तं व्यक्तिमापन्नं मन्यन्ते मामबुद्धयः ।
परं भावमजानन्तो ममाव्ययमनुत्तमम् ॥24॥

अव्यक्तम् व्यक्तिम् आपन्नम् मन्यन्ते माम् अबुद्धयः । परम् भावम् अजानन्तः मम अव्ययम् अनुत्तमम्
।।२४।।

शब्दार्थ

(मम) मेरे (परम्) महान (अनुत्तमम) और सबसे श्रेष्ठ (अव्ययम्) अविनाशी (भावम) भाव को (अजानन्तः) न जानते हुए (अबुद्धयः) बुद्धिहीन मनुष्य (माम् ) में (जो) (अव्यत्कम्) अदृश्य (निर्गुण और निराकार हूँ) (व्यक्तिम् ) (मैंने) मनुष्य की तरह शरीर ( आपन्नम्) धारण कर लिया है (मन्यते) ऐसा मानते हैं।

अनुवाद

मेरे महान और सबसे श्रेष्ठ अविनाशी भाव को न जानते हुए, बुद्धिहीन मनुष्य में (जो) अदृश्य (निर्गुण और निराकार हूँ) (मैंने) मनुष्य की तरह शरीर धारण कर लिया है, ऐसा मानते हैं।