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विषय नं. 6 - ईश्वर के गुण



अध्याय नं. 7 ,श्लोक नं. 26
श्लोक

वेदाहं समतीतानि वर्तमानानि चार्जुन भविष्याणि च भूतानि मां तु वेद न कश्चन ॥26॥

वेद अहम् समतीतानि वर्तमानानि च अर्जुन। भविष्याणि च भूतानि माम् त वेद न कश्चन ।।२६।।

शब्दार्थ

(अर्जुन) हे अर्जुन (अहम्) मैं (समतीतानी) भुतकाल में जो हो चुका (वर्तमानानि) वर्तमान काल में जो है। (च) और (भविष्याणि) भविष्यकाल में जो होगा। (वेद) ( उन सबको) जानता हूँ। (तु) परन्तु (भूतानि) मानवजाति (माम) मुझे (कश्चन) तनिक सा भी (न) नहीं (वेद) जानती है।

अनुवाद

हे अर्जुन! मैं भुतकाल में जो हो चुका। वर्तमान काल में जो है और भविष्यकाल में जो होगा। (उन सबको) जानता हूँ। परन्तु मानवजाति मुझे तनिक सा भी नहीं जानती है। जिवन में चिन्ताओं का कारण :