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विषय नं. 6 - ईश्वर के गुण



अध्याय नं. 14 ,श्लोक नं. 3
श्लोक

मम योनिर्महद्ब्रह्म तस्मिन्गर्भं दधाम्यहम् ।
सम्भवः सर्वभूतानां ततो भवति भारत ॥3॥

मम् योनिः महत् ब्रह्म तस्मिन् गर्भम् दधामि अहम् ।
सम्भवः सर्वभूतानाम् ततः भवति भारत ।। ३ ।।

शब्दार्थ

(भारत) हे भारत (अर्जुन) (अहम्) में (महत्) सबसे महान (ब्रह्म) ईश्वर ने ही (गर्भम्) (गर्भ) की (दधामि) रचना की है। (मम्) (और फिर) मेरे (सम्भव:) निर्मित किए हुए (योनि:) वीर्य की (तस्मिन्) इसमें (मैं परवरिश करता हूँ) (ततः) और फिर इस तरह (सर्व) सम्पूर्ण (भूतानाम्) प्राणियों का (भवति) जन्म होता है।

अनुवाद

हे भारत (अर्जुन)! में (सबसे महान ईश्वर) ने ही गर्भ की रचना की है। (और फिर) मेरे निर्मित किए हुए वीर्य की इसमें (मैं परवरिश करता हूँ) और फिर इस तरह सम्पूर्ण प्राणियों का जन्म होता है।