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विषय नं. 6 - ईश्वर के गुण



अध्याय नं. 14 ,श्लोक नं. 4
श्लोक

सर्वयोनिषु कौन्तेय मूर्तयः सम्भवन्ति याः ।
तासां ब्रह्म महद्योनिरहं बीजप्रदः पिता ॥4॥

सर्व-योनिषु कौन्तेयु मूर्तयः सम्भवन्ति याः ।
तासाम् ब्रह्म महत् योनिः अहम् बीजप्रदः पिता ॥४॥

शब्दार्थ

(कौन्तेय) हे कुन्ती पुत्र (अर्जुन) (सर्व) सभी (योनिषु) वीर्यों से (या) जो (मूर्तय:) (अलग अलग) आकार वाले शरीर (सम्भवन्ति) निर्मित होते हैं। (तासाम्) उन सभी (योनि:) वीर्य का (महत् ब्रह्म) महान ईश्वर (बीज) रचना का स्त्रोत (मूल कारण) (प्रदः) और उसका निर्माण करने वाले (पिता) (निर्माता) (अहम्) मैं हूँ।

अनुवाद

हे कुन्ती पुत्र (अर्जुन)! सभी वीर्यों से जो (अलग अलग) आकार वाले शरीर निर्मित होते हैं। उन सभी वीर्य का महान ईश्वर और रचना का स्त्रोत (मूल कारण) और उसका निर्माण करने वाले (निर्माता) मैं हूँ।