Home Chapters About



विषय नं. 7 - ईश्वर के आदेश



अध्याय नं. 3 ,श्लोक नं. 43
श्लोक

एवं बुद्धेः परं बुद्धवा संस्तभ्यात्मानमात्मना । जहि शत्रुं महाबाहो कामरूपं दुरासदम् ॥43॥

एवम् बुद्धेः परम् बुद्ध्वा सस्तभ्य आत्मानम् आत्मना । जहि शत्रुम् महाबाहो काम रुपम् दुरासदम् ।।४३।।

शब्दार्थ

( एराम्) इसलिए (महाबाहो) हे महाबाहो (अर्जुन) (बुद्ध्वा ) इस सत्य को जानने के बाद की (बुद्धेः) (ईश्वर) बुद्धि से (परम्) महान है। (आत्मानम्) अपने मन और बुद्धि में (आत्माना) ईश्वर की श्रद्धा को (संस्तभ्य) दृढ़ता से स्थित करो (कामरुपम) और इस काम भावना (इच्छा भक्ति) के रुप में जो (दुरासदम्) शक्तिशाली (शत्रुम्) शत्रु है (जहि) इस को मार डालो।

अनुवाद

इसलिए हे महाबाहो (अर्जुन)! इस सत्य को जानने के बाद कि ईश्वर बुद्धि से महान है। अपने मन और बुद्धि में ईश्वर की श्रद्धा को दृढ़ता से स्थित करो। और इस काम भावना के रुप में जो शक्तिशाली शत्रु है, इस को मार डालो।