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अध्याय 1 ,श्लोक 18



श्लोक

द्रुपदो द्रौपदेयाश्च सर्वशः पृथिवीपते । सौभद्रश्च महाबाहुः शंखान्दध्मुः पृथक्पृथक् ॥18॥

द्रुपदः द्रोपदेयाः च सर्वशः पृथिवी-पते । सौभद्रः च महाबाहुः शडान् दध्मुः पृथक-पृथक ।।१८।।

शब्दार्थ

(द्रुपद) राजा द्रुपद (च) और (द्रोदेया) द्रौपदी के पाँचे पुत्र (च) और (महाबाहु) शक्तिशाली भुजाओं वाले (सौभद्र) समुद्रापुत्र अभिमन्यु ( सर्वेश ) सब ओर से ( पृथिवी-पते ) हे राजन! धृतराष्ट्र (पृथक-पृथक ) अलग-अलग (शडान्) शंख ( दध्मुः ) बजाए गए।

अनुवाद

राजा द्रुपद और द्रौपदी के पाँचो पुत्र और शक्तिशाली भुजाओं वाले सुभद्रापुत्र अभिमन्यु सब ओर से हे राजन धृतराष्ट्र अलग-अलग शंख बजाए गए।