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अध्याय 1 ,श्लोक 25



श्लोक

भीष्मद्रोणप्रमुखतः सर्वेषां च महीक्षिताम् । उवाच पार्थ पश्यैतान् समवेतान् कुरूनिति ॥25॥

भीष्म द्रोण प्रमुखतः सर्वेषाम् च महीक्षिताम् । उवाच पार्थ पश्य एतान् समवेतान् कुरुन् इति ।।२५।।

शब्दार्थ

(भीष्म ) भीष्म पितामह (द्रोण) द्रोणाचार्य (च) और (सर्वेषाम) सम्पूर्ण (महीक्षिताम) राजाओं के (प्रमुखतः) सामने (इति) (श्री कृष्ण ने) इस प्रकार ( उवाच ) कहा (पार्थ) हे पार्थ (समवेतान) यहाँ इकठ्ठे हुए (एतान) इन ( कुरुन ) कुरुवंशियों को ( पश्य) देखो।

अनुवाद

भीष्म पितामह द्रोणाचार्य और सम्पूर्ण राजाओं के सामने (श्री कृष्ण ने) इस प्रकार कहा; हे पार्थ! यहाँ इकट्ठे हुए इन कुरुवंशियों को देखो।