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अध्याय 1 ,श्लोक 27



श्लोक

श्वशुरान् सुहृदश्चैव सेनयोरुभयोरपि । तान्समीक्ष्य स कौन्तेयः सर्वान् बन्धूनवस्थितान् ।।27।।

तान समीक्ष्य सः कौन्तेयः सर्वान् बन्धून् अवस्थितान् कृपया परया आविष्टः विषीदन् इदम् अब्रवीत् ।।२७।।

शब्दार्थ

(कौन्तेयः) अर्जुन ने ( तानः) उन ( सर्वान) सभी ( बन्धून) बान्धवों कों (अवस्थितान्) ( युद्ध स्थल पर आमने-सामने) खड़ा (समीक्ष्य ) देखा तो ( परया) (उसका हृदय ) ( कृपया) दया से (आविष्ट) भर आया (सः) (और) वह (विषीदन) दुखी होकर (इदम ) ऐसे (अब्रवीत्) बोले।

अनुवाद

अर्जुन ने उन सभी बान्धवों कों ( युद्ध स्थल पर आमने-सामने) खड़ा देखा तो ( उसका हृदय) दया से भर आया (और) वह दुखी होकर ऐसे बोले ।

नोट

ईश्वर ने पैदा किया मृत्यु और जीवन को, ताकि तुम्हारी परीक्षा करे कि तुममें कर्म की दृष्टि से कौन सबसे अच्छा है? वह प्रभुत्वशाली, बड़ा क्षमाशील है। (पवित्र कुरआन- सूरे अल-मुल्क (६७) आयत (२) अनुवाद-मुहम्मद फारुख खाँ)