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अध्याय 1 ,श्लोक 29



श्लोक

सीदन्ति मम गात्राणि मुखं च परिशुष्यति । वेपथुश्च शरीरे में रोमहर्षश्च जायते ॥29॥

वेपथुः च शरीरे मे रोम-हर्षः च जायते । गाण्डीवम् वंसते हस्तात् त्वक च एवं परिदहृते ।।२९।।

शब्दार्थ

(मे) मेरे ( शरीरे) शरीर में (वेपथुः) कँपकँपी (आर है) (च) और (रोमहर्षः) रोंगटे खड़े (जायते) हो रहे हैं (च) और ( हस्तात ) हाथ से (गाण्डिवम् ) गाण्डीव धनुष (स्त्रंसते) छुट रही है (च) और ( त्वक् ) त्वचा (एव) भी (परिदहते) जल रही है।

अनुवाद

मेरे शरीर में कँपकँपी (आ रही है) और रोंगटे खड़े हो रहे हैं। और हाथ से गाण्डीव धनुष छुट रही है और त्वचा भी जल रही है।