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अध्याय 1 ,श्लोक 8



श्लोक

भवान्भीष्मश्च कर्णश्च कृपश्च समितिञ्जयः ।
अश्वत्थामा विकर्णश्च सौमदत्तिस्तथैव च ॥8॥

भवान् भीष्मः च कर्णः कृपः च समितिज्जयः । अश्वत्थामा विकर्णः च सौमदत्ति तथा एव च।। ८ ।।

शब्दार्थ

(भीष्म ) भीष्म पितामह (कर्ण) कर्ण (च) और (कृप) कृपाचार्य (च) और (अश्वत्थामा ) अश्वत्थामा (च) और (सौमदत्ति) सोमदत्त का पुत्र भूरिश्रवा (च) और (एव) निःसन्देह (भवान) आप ( तथा ) भी ( समितिज्जय) सदैव विजयी रहने वालों में है।

अनुवाद

भीष्म पितामह, कर्ण, और कृपाचार्य, और अश्वत्थामा, और सोमदत्त का पुत्र भूरिश्रवा, और निःसन्देह आप भी सदैव विजयी रहने वालों में है।