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अध्याय 10 ,श्लोक 14



श्लोक

सर्वमेतदृतं मन्ये यन्मां वदसि केशव ।
न हि ते भगवन्व्यक्तिं विदुर्देवा न दानवाः ॥14॥

सर्वम् एतत् ऋतम् मन्ये यत् माम् वदसि केशव ।
न हि ते भगवन् व्यक्तिम् विदुः देवाः न दानवाः ।।१४।।

शब्दार्थ

(यत्) जो कुछ भी ( केशव ) श्री कृष्ण जी (माम) मुझे (वदसि ) (आपके बारे में) कह रहे हैं (एतत) उन (सर्वम्) सबको (ऋतम्) (में) सत्य (मन्ये) मानता हूँ (भगवान) हे ईश्वर (न) न (ही) (देवाः) देवता (न) (और) (न ही) (दानवाः) दानव (ते) आपकी (व्यक्तिम्) व्यक्तित्व को (विदुः) समझ सकते हैं।

अनुवाद

जो कुछ भी श्री कृष्ण जी मुझे आपके बारे में कह रहे हैं उन सबको मैं सत्य मानता हूँ। हे ईश्वर न देवता और न ही दानव आपकी व्यक्तित्व को समझ सकते हैं।