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अध्याय 10 ,श्लोक 30



श्लोक

प्रह्लादश्चास्मि दैत्यानां कालः कलयतामहम् ।
मृगाणां च मृगेन्द्रोऽहं वैनतेयश्च पक्षिणाम् ॥30॥

प्रल्हादः च अस्मि दैत्यानाम् कालः कलयताम् अहम् ।
मृगानाम् च मृग-इन्द्रः अहम् वैनतेयः च पक्षिणाम ।।३०।।

शब्दार्थ

(दैत्यानाम) देवताओं में (प्रल्हादः) शान्ति, सुख और आनंद देने वाला देवता प्रहलाद (अस्मि) हूँ (च) और (कलयताम्) गणना और हिसाब रखने वालों में (कालः) काल (अहम् ) मैं हूँ (च) और (मृगानाम्) पशुओं में (मृग इन्द्र) सिंह (अहम ) मैं हूँ (च) और (पक्षिणाम) पक्षियों में (वैनतेयः) गरुड़ हूँ।

अनुवाद

देवताओं में शान्ति, सुख और आनंद देने वाला देवता प्रहलाद हूँ और गणना और हिसाब रखने वालों में काल, मैं हूँ। और पशुओं में सिंह मैं हूँ, और पक्षियों में गरुड़ हूँ।