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अध्याय 11 ,श्लोक 10



श्लोक

अनेकवक्त्रनयनमनेकाद्भुतदर्शनम् । अनेकदिव्याभरणं दिव्यानेकोद्यतायुधम्।।10।

अनेक वक्त्र नयनम् अनेक अद्भुत दर्शनम् । अनेक दिव्य आभरणम् दिव्य अनेक उद्यत आयुधम् ।। १० ।।

शब्दार्थ

(अर्जुन ने देवताओं को देखा) (अनेक) अनेक (वक्त्र) चेहरे वाले (अनेक) अनेक (नयनम्) आँखो वाले (अदभुत दर्शनम्) अदभुत दृश्य था (अनेक) अनेक (देवता) (दिव्य आभरणम्) दिव्य वस्त्र पहने हुए थे ( अनेक) अनेक देवता (दिव्य) दिव्य (आयुधम् ) शस्त्र (उद्यत) लिए हुए थे।

अनुवाद

अर्जुन ने देवताओं को देखा अनेक चेहरे वाले, अनेक आँखो वाले, अदभुत दृश्य था। अनेक (देवता) दिव्य वस्त्र पहने हुए थे। अनेक देवता दिव्य शस्त्र लिए हुए थे।

नोट

पवित्र कुरआन में फरिश्तों के बारे में निम्नलिखित आयत है। “सब प्रशंसा ईश्वर के लिए है जो आकाशों और धरती का पैदा करने वाला, फरिश्तों को सन्देशवाहक नियुक्त करने वाला है। जिनके दो-दो और तीन-तीन और चार चार पंख है। वह सृष्टी रचना में जो चीज़ चाहता है बढ़ा देता (रचना करता) है। निस्संदेह! ईश्वर को हर चीज़ का सामर्थ्य प्राप्त है।" फातिर ३५, आयत १)