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अध्याय 11 ,श्लोक 11



श्लोक

दिव्यमाल्याम्बरधरं दिव्यगन्धानुलेपनम् । सर्वाश्चर्यमयं देवमनन्तं विश्वतोमुखम्॥11॥

दिव्य माल्य अम्बर धरम् दिव्य गन्ध अनुलेपनम् ।
सर्व आश्चर्य-मयम् देवम् अनन्तम् विश्वतः मुखम्

शब्दार्थ

(अनेक देवता) (अम्बर) अम्बर की ( माल्य) माला (धरम) धारण किए हुए थे (दिव्य गन्ध) ( बहुत से देवता) दिव्य सुगंध (अनुलेपनम् ) लगाए हुए थे (विश्वतः मुखम) हर तरफ ( अनन्तम् ) अनन्त ( देवता थे) (सर्व आश्चर्य मयम् ) हर वस्तु अद्भुत थी।

अनुवाद

(अनेक देवता) अंबर की माला धारण किए हुए थे। (बहुत से देवता) दिव्य सुगंध लगाए हुए थे। हर तरफ अनन्त देवता थे। हर वस्तु अद्भुत थी।