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अध्याय 11 ,श्लोक 12



श्लोक

दिवि सूर्यसहस्रस्य भवेद्युगपदुत्थिता। यदि भाः सदृशी सा स्याद्भासस्तस्य महात्मनः ॥12॥

दिवि सूर्य सहस्रस्य भवेत् युगपत् उत्थिता । यदि भाः सदृशी सा स्यात भासः तस्य महात्मनः ।।१२।।

शब्दार्थ

(उस समय अर्जुन ने ईश्वर के तेज को देखा। वह ऐसा था कि) (यदि) यदि (दिवि) आकाश में (सहस्त्रस्य) हज़ारो (सूर्य) सूर्य (युगपत्) एक साथ (उत्थिता) उदय हो तो उनका (भाः) तेज (तस्य ) उस (महात्मनः) महान ईश्वर के (भासः) तेज के (सदृशी) बराबर (स्यात्) हो पाए।

अनुवाद

उस समय अर्जुन ने ईश्वर के तेज को देखा। वह ऐसा था कि “यदि आकाश में हज़ारों सूर्य एक साथ उदय हो तो उनका तेज उस महान ईश्वर के तेज के बराबर हो पाए।”

नोट

पैगंबर मूसा ने जो ईश्वर के तेज को देखा था, उसका वर्णन पवित्र कुरआन में इस प्रकार है, “और जब मूसा हमारे (ईश्वर के) निश्चित किए हुए समय पर ( पर्वत के शिखर पर) पहुँचे और उसके ईश्वर ने उससे बातचीत की, तो वह (मूसा) कहने लगे, हे ईश्वर! मुझे (अपना जलवा) दिखा, मैं तुझे देखूँ। ईश्वर ने कहा तुम मुझे नही देख सकते, हाँ (उस) पर्वत की ओर देखो। यदि वह अपने स्थान पर स्थिर रहा, तो तुम मुझे देख लोगे। फिर जब ईश्वर (का तेज) पर्वत पर आलोकित हुआ तो उसे चकनाचूर कर दिया। और मूसा मूर्च्छित होकर गिर पड़े। जब होश आया तो कहा महिमा तेरी। मैं तेरे आगे तौबा करता हूँ और सबसे पहला इमान लाने वाला मैं हूँ।” (सूरे अल-आराफ-७ आयत १४३) मैं एक और आयत इस प्रकार है: (हे यहूदी समुदाय) याद करो जब तुमने मूसा से कहा था कि हम तुम्हारे कहने का हरगिज़ विश्वास न करेंगे, जब तक कि अपनी आँखो से खुले तौर पर ईश्वर को न देख लें। उस समय तुम्हारे देखते-देखते एक जबरदस्त कड़के ने तुमको आ पकड़ लिया। तुम बेजान होकर गिर चुके थे, मगर फिर हमने तुम को जिंदा उठाया। शायद कि इस उपकार के बाद तुम शुक्रगुज़ार बन जाओ। (सूरे अल-बकर-२ आयत ५५-५६) (अर्थात ईश्वर का तेज इतना अधिक शक्तिशाली है कि मनुष्य उसको बरदाश्त (सहन) नहीं कर सकता है।)