Home Chapters About



अध्याय 11 ,श्लोक 19



श्लोक

अनादिमध्यान्तमनन्तवीर्यमनन्तबाहुं शशिसूर्यनेत्रम् । पश्यामि त्वां दीप्तहुताशवकांस्वतेजसा विश्वमिदं तपन्तम् ॥19॥

अनादि मध्य अन्तत वीर्यम् अनन्त बाहुम् शशि (त्वाम्) (हे ईश्वर) आप (अनादि) बिना आरंभ सूर्य नेत्रम् | पश्यामि त्वाम् दीप्त हुताश-वक्त्रम् स्व-तेजसा विश्वम् इदम् तपन्तम् ।। १९ ।।

शब्दार्थ

सूर्य और चन्द्र आपके ईश्वर सब कुछ आपकी पकड़ में है आपके आँखों के स्वरुप हैं (आप सब कुछ देखते हैं) कंट्रोल में है। सूर्य और चन्द्र आपके आँखों के (पश्यामि) (हे ईश्वर) मैं देख रहा हूँ (इदम ) स्वरुप हैं आप सब कुछ देखते हैं। (हे ईश्वर) मैं यह ब्रह्मांड (स्व) आपके (दिप्त हुताश देख रहा हूँ यह ब्रह्मांड आपके मुख (अस्तित्व वक्त्रम्) मुख (अस्तित्व से) निकलने वाली से) निकलने वाली ऊर्जा और तेज से सक्रिय हैं। कुछ आपकी पकड़ में है (आपके नियंत्रण में ऊर्जा (तेजसा) तेज से (तपन्तम्) सक्रिय है।

अनुवाद

के (मध्य) मध्य (अनन्त) (और) अन्त (के हैं) (अनन्त वीर्यम्) (हे ईश्वर आप सबसे) शक्तिशाली हैं (अनन्त बाहुम्) (हे ईश्वर) सब हे ईश्वर आप बिना आरंभ के मध्य (और) अन्त के हैं। हे ईश्वर आप सबसे शक्तिशाली हैं। हे है)। (शशि सूर्य नेत्रम्)

नोट

ईश्वर ने पवित्र कुरआन में कहा कि “यदि हमने इस कुरआन को किसी पर्वत पर भी उतार दिया होता तो तुम अवश्य देखते कि ईश्वर के भय से वह दबा और फटा जाता है। यह उदाहरण लोगों के लिए हम इसलिए देते हैं कि वे सोच-विचार करें। ईश्वर वही है, जिसके सिवा कोई पूज्य-प्रभु नहीं। जो बाते छुपी हुई हैं और जो सामने हैं सबको जानता है। वह बड़ा कृपाशील, अत्यंत दयावान है। ईश्वर वही है, जिसके सिवा कोई पूज्य नहीं है। बादशाह है, अत्यन्त पवित्र, सर्वथा (सलामती), निश्चिन्तता प्रदान करने वाला, संरक्षक, प्रभुत्वशाली, प्रभावशाली (टूटे हुए को जोड़ने वाला) अपनी महानता प्रकट करने वाला। ईश्वर उस संगम (शिर्क) से महान और उच्च है जो वे लोग करते हैं। ईश्वर वही है, जो संरचना का प्रारूपक है। अस्तित्व प्रदान करने वाला, रुप देने वाला है। उसी के लिए अच्छे नाम हैं। जो चीज़ भी आकाशों और धरती में है, उसी के नाम का जाप कर रही है और वह प्रभुत्वशाली तत्त्वदर्शी है।" (सूरे अल हशर ५९, आयत २२-२४)