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अध्याय 11 ,श्लोक 22



श्लोक

रुद्रादित्या वसवो ये च साध्याविश्वेऽश्विनौ मरुतश्चोष्मपाश्च। गंधर्वयक्षासुरसिद्धसङ्घावीक्षन्ते त्वां विस्मिताश्चैव सर्वे ॥22॥

रुद्र आदित्याः वसवः ये च साध्याः विश्वे अश्विनौ
मरुतः च उष्म-पाः च । गन्धर्व यक्ष असुर सिद्ध सडघाः वीक्षन्ते त्वाम् विस्मिताः च एव सर्वे ।। २२ ।।

शब्दार्थ

(एरा) (हे ईश्वर) नि:संदेह ( रुद्र, आदित्याः, वसवः) रुद्र, आदित्य, वसु (च) और (उष्मपाः) पितृगण (च) और (गन्धर्व, यक्ष, असुर, सिद्ध-सडघाः) गंधर्व, यक्ष, असुर,और सिद्धी के समुदाय (च) भी ( त्वाम) आपको (विस्मिताः) चकित होकर (वीक्षन्ते) देख रहें है।

अनुवाद

हे ईश्वर नि:संदेह रुद्र, आदित्य, वसु और पितृगण और गंधर्व, यक्ष, असुर, और सिद्धी के समुदाय भी आपको चकित होकर देख रहे है।

नोट

आकाशों और धरती में जो कुछ भी हैं (मनुष्य और फरिश्ते ) वह उसी के है। प्रत्येक उसी के निष्ठावान आज्ञाकारी हैं। (पवित्र कुरआन ३०.२६)